एक सर्द रा त थी । जंगल में बर्फ़ गि र रही थी और हवा ने सब कुछ जकड़ लि या था । रा नो चि ड़ी या और उसकी बेटी गुड़ि या बर्फ़ में
कां पते हुए चल रही थीं । उनके पा स को ई घर नहीं था , को ई छां व नहीं थी । ठंड से उनकी हा लत खरा ब हो रही थी ।
गुड़ि या :
(कां पते हुए)
“अम्मा , बहुत ठंड हो रही है, हमें क्या करना चा हि ए?”
रा नो चि ड़ी या :
(सख्त आवा ज में)
“गुड़ि या , अगर हम नहीं लड़ें तो हम दो नों यहीं मर जा एंगे। हमें लकड़ी ढूंढनी हो गी , एक सुरक्षि त जगह बना नी हो गी ।”
गुड़ि या :
(घबरा ते हुए)
“लेकि न कहाँ से मि लेगा लकड़ी ? यहाँ तो सब बर्फ़ में ढक चुका है।”
रा नो चि ड़ी या :
“तुम घबरा ओ मत, हम मि लकर ढूंढेंगे। कुछ तो मि लेगा ।”
दो नों मां -बेटी ठंड और बर्फ़ में कां पते हुए लकड़ी ढूंढने की को शि श करती हैं। कई घंटों तक वे कि सी लकड़ी का नि शा न नहीं पा तीं ।
यह मुश्कि लों से भरा था , लेकि न रा नो हा र मा नने वा ली नहीं थी ।
गुड़ि या :
(आंसू बहा ते हुए)
“अम्मा , मुझे बहुत डर लग रहा है। हम कैसे बचेंगे?”
रा नो चि ड़ी या :
(सख्त आवा ज में)
“डरो मत, गुड़ि या । हमें अभी संघर्ष करना हो गा । अगर हम हा र मा नेंगे, तो हम मर जा एंगे।”
का फी समय बा द, रा नो और गुड़ि या को दूर एक पेड़ के नी चे कुछ सूखी लकड़ि याँ दि खा ई देती हैं। लेकि न जैसे ही वे लकड़ी लेने के
लि ए बढ़ती हैं, अचा नक एक जो र की आवा ज़ सुना ई देती है।
गुड़ि या :
“अम्मा , यह क्या है? यह आवा ज़ कहाँ से आ रही है?”
रा नो चि ड़ी या :
(तेज आवा ज में)
“चुप रहो , गुड़ि या ! यह शि का रि यों की आवा ज हो सकती है। हमें छुप जा ना हो गा ।”
वे दो नों एक झा ड़ी में छुप जा ती हैं, लेकि न जंगल में गहरी सर्दी के सा थ-सा थ और भी खतरें थे। अचा नक, एक सि या र का समूह
उनके पा स आता है।
सि या र (एक की आवा ज़):
“यहाँ से हट जा ओ, तुम दो नों के पा स जो लकड़ी है, वो हमा री ज़रूरत है।”
रा नो चि ड़ी या :
(आक्रा मक तरी के से)
“यह लकड़ी हमा री मेहनत का परि णा म है, हम इसे छो ड़कर नहीं जा एंगे।”
गुड़ि या :
(घबरा ते हुए)
“अम्मा , यह क्या हो गा ? हमें क्या करना चा हि ए?”
रा नो चि ड़ी या :
(धी रे से)
“सि र्फ अपनी ज़िं दगी बचा ने के लि ए हमें इनसे डरने की जरूरत नहीं है, लेकि न हमें समझदा री से का म लेना हो गा । हमें इनसे लड़ने
के बजा य, उन्हें चुपके से हरा देना हो गा ।”
रा नो चि ड़ी या ने अपनी बेटी को इशा रे से चुप रहने का संकेत दि या और धी रे-धी रे झा ड़ी के अंदर से बा हर आ गई। उसने शि का रि यों
और सि या रों से बा तची त शुरू की ।
रा नो चि ड़ी या :
(सख्त आवा ज में)
“अगर तुम हमा री लकड़ी चा हते हो , तो पहले हमा री मदद करो । हमें इस ठंड से बचने के लि ए सुरक्षि त घर बना ने की जरूरत है।”
सि या र (एक की आवा ज़):
(हंसते हुए)
“तुम्हा री मदद? तुम दो नों अकेली इस ठंड में क्या कर सको गी ?”
रा नो चि ड़ी या :
“हम अकेली नहीं हैं, हमा रे पा स हमा री मेहनत और संघर्ष है। अगर तुम हमा री मदद नहीं करो गे तो हमें अपना रा स्ता खुद बना ना
पड़ेगा ।”
सि या रों ने उन्हें गुस्से से देखा और फि र एक शि का र पर ध्या न देने लगे। इस दौ रा न, रा नो चि ड़ी या और गुड़ि या ने अपनी लकड़ी
जल्दी से इकट्ठा की और छुपते हुए जंगल के दूसरे हि स्से में चली गईं।
गुड़ि या :
(थकी हुई)
“अम्मा , अब क्या हो गा ? हमें घर बना ना भी तो है।”
रा नो चि ड़ी या :
“अब हमें पूरी ता कत से अपना घर बना ना हो गा । हम जंगल के इस खतरना क हि स्से में अकेले हैं, लेकि न हम कि सी भी हा लत में
हा र नहीं मा नेंगे।”
वह दो नों पूरी मेहनत से लकड़ी जो ड़ने लगती हैं, लेकि न बा र-बा र ठंड और बर्फ़ से परेशा नी आ रही थी । उनके शरी र अकड़ गए थे,
हा थों में कां पने की वजह से लकड़ी जो ड़ना मुश्कि ल हो रहा था ।
गुड़ि या :
(आंसू बहा ते हुए)
“अम्मा , मुझे नहीं लगता हम यह घर बना पा एंगे। यह बहुत मुश्कि ल हो रहा है।”
रा नो चि ड़ी या :
“तुम कमजो र नहीं हो , गुड़ि या । यह मुश्कि ल है, लेकि न हमा रा संघर्ष हमें जी त दि ला एगा । हमें और मेहनत करनी हो गी ।”
सि र झुका ए, रा नो और गुड़ि या संघर्ष करती रहती हैं। कड़ी मेहनत और सा हस से, आखि रका र वे लकड़ी का घर बना ने में सफल हो
जा ती हैं। यह घर बहुत सा धा रण था , लेकि न दो नों के लि ए वह उनकी जी त का प्रती क बन चुका था ।
गुड़ि या :
(शां त हो ते हुए)
“अम्मा , यह घर बना ने में बहुत मेहनत लगी , लेकि न हम इसमें सुरक्षि त हैं।”
रा नो चि ड़ी या :
“हां , गुड़ि या , यह घर हमा री उम्मी द और संघर्ष का प्रती क है। हमें कभी हा र नहीं मा ननी चा हि ए।”
लेकि न कि स्मत को कुछ और मंजूर था रा नो चि ड़या ने अपना खा ना देखा तो वह खतम हो ने वा ला था
रा नो चि ड़ी या :
(गुड़ि या से)
“गुड़ि या , हमें और कुछ ढूंढना हो गा । हमा री खा ने की ची ज़ें बहुत कम हैं। जंगल में कहीं ना कहीं कुछ तो हो गा ।”
गुड़ि या :
(आंखों में डर)
“लेकि न अम्मा , जंगल में अकेले जा ने से डर लगता है। क्या हो गा अगर कुछ खतरना क हो गया ?”
रा नो चि ड़ी या :
(सख्त आवा ज में)
“डरो मत, गुड़ि या । हमें डर को पा र करना हो गा । अगर हम इस डर से पी छे हटे, तो हम कभी नहीं जी त पा एंगे।”
रा नो चि ड़ी या और गुड़ि या दो नों बा हर नि कल जा ती हैं।
रा नो को यकी न था कि यदि वे अपनी मेहनत से जंगल के और हि स्से तक जा एं, तो शा यद कुछ खा ने का सा मा न मि ल सके।
गुड़ि या :
(धी रे से)
“अम्मा , बहुत ठंड लग रही है। क्या हमें वा पस नहीं लौ टना चा हि ए?”
रा नो चि ड़ी या :
(कां पते हुए)
“हम और थो ड़ी देर रुकते हैं, गुड़ि या । हमें हर हा ल में कुछ न कुछ ढूंढना हो गा ।”
कुछ देर बा द, रा नो एक छो टे से झरने के पा स पहुंच जा ती है, जहाँ बर्फ़ पि घल चुकी थी । वह नी चे झुक कर पा नी पी ने के लि ए
मुड़ी , लेकि न अचा नक उसका पैर फि सल जा ता है और वह एक गहरे गड्ढे में गि र जा ती है।
रा नो चि ड़ी या :
(चि ल्ला ते हुए)
“अरे! मुझे बचा ओ! गुड़ि या !”
गुड़ि या :
(घबरा ते हुए)
“अम्मा ! मैं आती हूं!”
गुड़ि या घबरा ई हुई दौ ड़ते हुए अपनी मां की आवा ज़ सुनकर गड्ढे के पा स पहुंचती है। वह देखती है कि रा नो चि ड़ी या गहरे गड्ढे में
फंसी हुई है और बा हर नि कलने के लि ए संघर्ष कर रही है।
गुड़ि या :
(कां पते हुए)
“अम्मा , आप फंस गईं हैं! मैं आपको कैसे बचा ऊं?”
रा नो चि ड़ी या :
(सा हस से)
“गुड़ि या , तुम घबरा ओ मत। मुझे बा हर नि का लने के लि ए तुम्हें मेहनत करनी हो गी । हम दो नों को सा थ में मि लकर यह मुश्कि ल पा र
करनी हो गी ।”
गुड़ि या :
“ठी क है, अम्मा ! मैं आपको बा हर नि का लने की पूरी को शि श करूंगी ।”
गुड़ि या अपनी पूरी ता कत से रा नो चि ड़ी या को गड्ढे से बा हर नि का लने की को शि श करती है। बहुत संघर्ष के बा द, गुड़ि या अपनी मां
को बा हर नि का लने में सफल हो जा ती है।
गुड़ि या :
(थकी हुई)
“अम्मा , अब क्या करेंगे? हमें खा ना चा हि ए, लेकि न कुछ नहीं मि ल रहा ।”
रा नो चि ड़ी या :
(दुखी आवा ज में)
“गुड़ि या , मुझे भी बहुत भूख लगी है। लेकि न अगर हमें कुछ नहीं मि ला तो क्या हो गा ?”
अचा नक, एक दि शा से एक खरगो श की हलचल सुना ई देती है। रा नो और गुड़ि या दो नों उसकी ओर दौ ड़ती हैं, लेकि न खरगो श
तेज़ी से भा ग जा ता है।
गुड़ि या :
(नि रा श हो कर)
“अम्मा , यह भी चला गया । हम फि र से खा ली हा थ रह गए।”
रा नो चि ड़ी या :
(कां पते हुए)
“हम नहीं हा र सकते, गुड़ि या । हमें और को शि श करनी हो गी । कि सी तरह हमें खा ना मि लेगा , अगर हम हा र मा नेंगे तो हमा री हा लत
और खरा ब हो जा एगी ।”
रा नो चि ड़ी या और गुड़ि या फि र से इधर-उधर ढूंढने लगती हैं, लेकि न बर्फ़ और ठंड ने जंगल को बेजा न बना दि या था । अब वे पूरी
तरह से थक चुकी थीं और नि रा श हो रही थीं ।
गुड़ि या :
(आंसू बहा ते हुए)
“अम्मा , क्या हम कभी खा ना पा सकेंगे?”
रा नो चि ड़ी या :
(सहा यक आवा ज में)
“हम पा सकते हैं, गुड़ि या । हम उम्मी द नहीं छो ड़ सकते।”
वो सब बड़ी देर तक ढूंढ कर खा ना ईखत्ता कर लेते है । और अपने घर आ जा ते है।।
रा नो चि ड़ी या : बेटा आज हमने ये जंगल मैं बहुत कुछ सी खा है चलो अब सो जा ओ अब हमा रे पा स अच्छा घर और खा ना है
वो दो नो लो ग सो जा ते है
अगला दि न
सुबह की हल्की रो शनी के सा थ रा नो चि ड़ी या और उसकी बेटी गुड़ि या अपने घर से बा हर नि कलने के लि ए तैया र हो रही थीं ।
उनका पेट खा ली था , और जंगल में खा ने की तला श एक नई चुनौ ती बन चुकी थी । उन्हें उम्मी द थी कि कहीं न कहीं खा ने का
सा मा न मि ल जा एगा , जि ससे वे अपनी भूख को शां त कर सकें।
रा नो चि ड़ी या :
(गुड़ि या से)
“गुड़ि या , हमें जल्दी से जल्दी कुछ खा ना ढूंढना हो गा । तुम तैया र हो ?”
गुड़ि या :
(थो ड़ी घबरा ई हुई)
“अम्मा , हमें अब क्या करना हो गा ? जंगल बहुत बड़ा है, और हमें डर लगता है।”
रा नो चि ड़ी या :
(सा हस दि खा ते हुए)
“डरो मत, गुड़ि या । हम दो नों मि लकर खा ना ढूंढेंगे। सब ठी क हो जा एगा ।”
रा नो चि ड़ी या और गुड़ि या दो नों जंगल की ओर चल पड़ती हैं। वे इधर-उधर खो जते हैं, लेकि न हर बा र को ई न को ई परेशा नी आती
जा ती है। बहुत समय बा द, वे एक छो टे से पेड़ के नी चे कुछ बी ज और फल पा ती हैं। दो नों खुशी -खुशी उसे खा ते हैं, लेकि न वे
जा नती हैं कि यह पर्या प्त नहीं हो गा । उन्हें और खा ना ढूंढने की जरूरत है।
जैसे ही वे खा ने के लि ए और को शि श करती हैं, अचा नक एक तेज़ आंधी आती है। रा नो और गुड़ि या को पता चलता है कि उनका
घर जो उन्हों ने इतनी मेहनत से बना या था , अब खतरे में है।
गुड़ि या :
(घबरा कर)
“अम्मा , हमें जल्दी लौ टना हो गा ! आंधी आ रही है!”
रा नो चि ड़ी या :
(चिं ता करते हुए)
“तुम सही कह रही हो , गुड़ि या । हम जल्द से जल्द घर लौ टते हैं।”
जैसे ही दो नों घर लौ टती हैं, उन्हें एक बड़ा शि का र पक्षी अपने घर के पा स देखता है। वह शि का री पक्षी अपनी बड़ी चों च और पैरों
के सा थ घर को नि शा ना बना चुका है।
गुड़ि या :
(डरी हुई)
“अम्मा , वह पक्षी हमा री झो पड़ी को नष्ट कर देगा !”
रा नो चि ड़ी या :
(सख्त आवा ज में)
“नहीं , गुड़ि या ! हम इसे ऐसा नहीं हो ने देंगे। हमें एक तरी का नि का लना हो गा ।”
शि का री पक्षी धी रे-धी रे घर के पा स आता है और रा नो और गुड़ि या के घर को चों च से खो खला करने की को शि श करता है। लेकि न
रा नो चि ड़ी या ने अपनी तेज़ उड़ा न का इस्तेमा ल करते हुए शि का री पक्षी का ध्या न बंटा ना शुरू कर दि या । वह आसमा न में उड़ने
लगी , और शि का री पक्षी ने उसका पी छा करना शुरू कि या ।
रा नो चि ड़ी या :
(आसमा न में उड़ते हुए)
“आओ, मुझे पकड़ो ! तुम मुझे छो ड़ दो , मेरी बेटी को कुछ मत करो !” बेटी तुम यहां से चली जा ओ और मेरे भा ई के घर जा ओ
ऐसा बो ल कर रा नो चि ड़ि या शि का री को अपने तरफ बुला कर वहा से उड़ लेती है शि का री उसका पी छा कर रहा हो ता है
दो पहर का समय था रा नो और उसकी बेटी उसके भा ई के घर मि लती हैं।।
रा नो चि ड़ि या :
बेटी तुम सुरक्षि त हो मुझे देख कर खुशी हुई
गुड़ि या :
हा मां मुझे लगा हम इसे नही बच पा एंगे
रा नो चि ड़ि या अपने भा ई से बो लती है।
भैया हमा रा घर एक शि का री चि ड़ि यां ने छी न लि या है। आप मेरी मदद करो हमको एक अच्छा सुरक्षि त घर चा हि ए।
रा नो का भा ई: अरे रा नो तुम लो ग मेरे घर पर क्यों नहीं रहते
रा नो चि ड़ि या : भैया हम नही रुक सकते हमको आप पे बो झ नहीं बनना हैं यह कह कर दो नो उड़ गए
दो नो को पता था अगर हम मदद मां गते तो मेरा भा ई मुझे उनके घर पर रख लेता और हमे उनके उपर बो झ नहीं बनना ।।
रा नो और गुड़ि या ने फि र से अपनी या त्रा शुरू की और एक नया घर बना ने के लि ए लकड़ी इकट्ठा करने नि कले। लेकि न रा स्ते में
एक नई मुसी बत आ गई। जंगल में बर्फ़ी ली हवा ओं ने उनका रा स्ता और कठि न बना दि या । रा स्ता बहुत ही खतरना क था , और कई
बा र गुड़ि या की हा लत भी खरा ब हो गई।
गुड़ि या (काँ पते हुए): “माँ , फि र से सब कुछ टूट गया । अब हम कहां जा एंगे?”
रा नो (आश्वा सन देते हुए): “बेटा , हर बा र टूटने से हम और मजबूत हो ते हैं। अब हमें फि र से को शि श करनी हो गी , और हम अपना
घर बना एंगे।”
गुड़ि या ने सि र झुका कर हा मी भरी और दो नों ने बर्फ़ में ढला न पर चलते हुए लकड़ी इकट्ठा करने की को शि श की । लेकि न जंगल में
बर्फ़ का ढेर था और हर कदम मुश्कि ल हो रहा था ।
तभी , अचा नक तेज़ आँधी आ गई और उनकी आँखों में बर्फ़ चुभने लगी । घर को फि र से बना ने के लि ए कड़ी मेहनत की जरूरत
थी , लेकि न उन्हों ने हा र मा नने का ना म नहीं लि या ।
रा नो (तेज आवा ज़ में): “गुड़ि या , हम फि र से अपना घर बना एंगे, तुम देखना !”
गुड़ि या (काँ पते हुए): “माँ , क्या हमें फि र से वही लकड़ी इकट्ठा करनी हो गी ?”
रा नो (नि श्चिं त हो कर): “हाँ बेटा , और इस बा र हम उसे इतना मजबूत बना एंगे कि को ई भी आँधी उसे तो ड़ नहीं पा एगी ।”
लेकि न जैसे ही वे लकड़ी इकट्ठा करने लगे, एक का ला कौ आ उन दो नों के पा स आया और जो र से बो ला ।
कौ आ (हंसी के सा थ): “तुम लो ग फि र से घर बना रहे हो ? क्या तुम नहीं समझते, बर्फ़ की आँधी तुम्हा रा कुछ नहीं छो ड़ेगी ?”
गुड़ि या (गुस्से में): “तुम्हें हमा रे बा रे में चिं ता करने की जरूरत नहीं है, कौ आ!”
रा नो (सख्त लहजे में): “हम अपनी मेहनत से अपना घर बना एंगे, यह हमा री ज़िं दगी है। तुमसे को ई फर्क नहीं पड़ता ।”
कौ आ हंसा और उड़कर चला गया , लेकि न रा नो और गुड़ि या ने उसकी बा तों को नका रते हुए अपना रा स्ता जा री रखा । बर्फ़ी ले रा स्ते
में, एक और समस्या आ खड़ी हुई। जैसे ही वे घर के पा स पहुंचे, उनका घर पूरी तरह से ढह चुका था । बर्फ़ ने पूरी तरह से घर को
घेर लि या था और उसकी छत गि र गई थी ।
गुड़ि या (आश्चर्य से): “माँ , हमा रा घर फि र से ढह गया !”
रा नो (गहरी सां स लेते हुए): “हमें एक बा र फि र से शुरुआत करनी हो गी , बेटा ।”
रा नो और गुड़ि या दो नों ने देखा कि उनके पा स अब को ई भी खा ना नहीं था । भूख और सर्दी से उनका शरी र थक चुका था । दो नों ने
बर्फ़ के बी च खा ने की तला श शुरू की , लेकि न जंगल में कहीं भी कुछ भी नहीं मि ल रहा था ।
गुड़ि या (हा थों से सि र दबा कर): “माँ , मुझे बहुत भूख लग रही है।”
रा नो (हि म्मत देते हुए): “बेटा , थो ड़ा और सहो । हम जल्दी ही खा ना ढूंढेंगे।”
लेकि न यह बा त रा नो के लि ए भी आसा न नहीं थी । अब उन्हें लगने लगा था कि उनके लि ए यह कठि ना इयाँ कभी खत्म नहीं हों गी ।
तभी , गुड़ि या ने देखा कि एक पेड़ के नी चे कुछ फल पड़े हुए थे।
गुड़ि या (आशा वा द से): “माँ , देखो ! वहाँ फल पड़े हैं!”
रा नो (संदेह से): “क्या तुम यकी न करती हो कि ये फल सुरक्षि त हैं?”
गुड़ि या (सचेत हो कर): “माँ , हमें और को ई रा स्ता नहीं दि खता । हमें इन्हें खा ना हो गा ।”
दो नों ने फलों को खा या और थो ड़ी देर के लि ए रा हत पा ई। लेकि न भूख का असर उनके शरी र पर अभी भी था । वे ठंड और भूख
दो नों से जूझ रहे थे। अब दो नों का संघर्ष और भी मुश्कि ल हो चुका था ।
अचा नक, रा नो और गुड़ि या ने देखा कि उनका घर जि स जगह पर बना था , उस जगह पर कुछ और पक्षी आकर बैठ गए थे। ये
पक्षी उनके घर को अब अपना समझते थे।
गुड़ि या (चौं कते हुए): “माँ , ये क्या है? ये हमा रे घर में क्यों आए हैं?”
रा नो (गुस्से में): “यह क्या मा नेगा ! ये पक्षी हमा रे घर को कबजा कर रहे हैं। हमें उन्हें बा हर नि का लना हो गा ।”
रा नो और गुड़ि या ने एक सा थ मि लकर उन पक्षि यों को नि का लने की को शि श की । लेकि न पक्षी इतने ज्या दा थे कि वे दो नों अकेले
कुछ नहीं कर पा रहे थे।
गुड़ि या (चि ल्ला ती हुई): “माँ , ये पक्षी नहीं जा रहे!”
रा नो (गुस्से में): “हम अपनी मेहनत से घर बना एंगे, इन पक्षि यों को हम कभी भी बा हर नि का ल सकते हैं!”
अचा नक, बर्फ़ की एक और तेज़ आँधी आई और पक्षी उड़ा दि ए गए। रा नो और गुड़ि या ने रा हत की सां स ली । लेकि न फि र भी
उनका घर पूरी तरह से सुरक्षि त नहीं था ।
अब वे दो नों नए घर के लि ए अपनी सा री उम्मी दें संजो ए हुए थे। लेकि न रा स्ते में कई कठि ना इयाँ और मुसी बतें आईं। कहीं बर्फ़ में
रा स्ता बंद हो जा ता , कहीं लकड़ी की कमी हो जा ती । लेकि न दो नों ने बि ना रुके, बि ना थके संघर्ष जा री रखा ।
गुड़ि या (पसी ने से सना हुआ चेहरा दि खा ते हुए): “माँ , अब मुझे लगता है कि हम जी त सकते हैं।”
रा नो (आश्वस्त हो कर): “बि लकुल बेटा , यही हमा री ता कत है। हमें हमेशा सा थ रहकर लड़ना हो गा ।”
आखि रका र, कई कठि ना इयों के बा द रा नो और गुड़ि या ने अपना नया घर बना लि या । यह घर पहले से भी ज्या दा मजबूत और
सुरक्षि त था । अब उनका घर कि सी भी आँधी , बर्फ़ या मुसी बत का सा मना करने के लि ए तैया र था ।
गुड़ि या (आश्चर्य से): “माँ , देखो हमा रा घर! अब हम बि ल्कुल सुरक्षि त हैं!”
रा नो (मुस्कुरा ते हुए): “यह घर हमा री मेहनत और सा हस का परि णा म है। अब हम कि सी से भी डरने वा ले नहीं हैं।”
गुड़ि या :
हा मां मेने इस मुसी बत से बहुत कुछ सी खा हैं। और इन मुसी बत का सा मना करते हुए हमने ये अच्छा और बड़ा सा घर बना लि या
हैं।।
रा नो :
हा बेटा मुझे आशा हैं हम ये घर मैं अच्छे से रहेंगे। वो सब अब खा के सो ने की तैया री मैं नि कल जा ते हैं।
अब उनका घर बि ल्कुल सुरक्षि त था । कि सी भी बा हरी ता कत के सा मने वे टूटने वा ले नहीं थे। इस संघर्ष के बा द, दो नों ने सी खा कि
मुश्कि लें आती हैं, लेकि न अगर आत्मवि श्वा स और मेहनत हो तो हर मुश्कि ल आसा न हो जा ती है।
समा प्त।