जंगल में सर्दी बढ़ने लगी है। रा नो चि ड़ि या और उसकी बेटी गुड़ि या अपने घों सले में बैठे हैं। बा हर ठंडी हवा तेज़ चल रही है।
गुड़ि या : (पंखों को समेटते हुए) “मां , ये ठंड तो मेरी हड्डि यों तक पहुंच रही है। मुझे बहुत ठंड लग रही है।”
रा नो : (गुड़ि या को अपने पंखों में छुपा ते हुए) “सर्दी बढ़ गई है, बेटा । लेकि न घबरा ओ मत। मैं कुछ सो चती हूं।”
गुड़ि या : (कां पते हुए) “मां , क्या हमा रा घों सला हमें सर्दी से बचा पा एगा ?”
रा नो : “घों सला तो हमें बचा एगा , लेकि न तुम्हें गरम रखने के लि ए मुझे तुम्हा रे लि ए एक मफलर बना ना हो गा । वो तुम्हा री गर्दन और
पंखों को ढकेगा , और ठंड कम लगेगी ।”
गुड़ि या : (खुश हो कर) “मफलर? सच में, मां ? मैं भी तुम्हा री मदद करूंगी !”
रा नो : “ठी क है। पर इसके लि ए हमें जंगल से सा मा न ला ना हो गा । नरम रूई, मजबूत धा गे और सूखी घा स, सब कुछ इकट्ठा करना
पड़ेगा । लेकि न ध्या न रखना , ये का म आसा न नहीं हो गा यह कह कर रा नो और गुड़ि या जंगल में सा मा न की खो ज में नि कलती हैं। वे
नदी के पा स पहुंचते हैं, जहां कुछ रूई और धा गे पड़े हैं।
गुड़ि या : “मां , देखो ! वहां थो ड़ा सा रूई का ढेर पड़ा है। क्या ये हमा रे का म आएगा ?”
रा नो : “हां बेटा , ये बहुत का म का है। चलो , जल्दी से इसे इकट्ठा करते हैं।”
(जैसे ही वे सा मा न उठा ने लगती हैं, एक बड़ा का ला कौ आ वहां आता है।)
कौ आ: (गुस्से से) “रुको ! ये सब मेरा है! यहां से दूर हट जा ओ।”
गुड़ि या : (डरते हुए) “मां , ये कौ आ कि तना गुस्से में है! अब क्या करेंगे?”
रा नो : (धी रे से) “घबरा ओ मत। कौ आ भा ई, हमें सि र्फ थो ड़ा सा मा न चा हि ए। तुम्हा रे पा स तो बहुत है। क्या तुम हमें थो ड़ा दे सकते
हो ?”
कौ आ: (अकड़ते हुए) “नहीं ! ये सब मेरा है। जा ओ यहां से!”
रा नो : (सो चते हुए) “ठी क है। अगर हम तुम्हा री मदद करें तो क्या तुम हमें थो ड़ा सा मा न दो गे?”
कौ आ: “मदद? कैसी मदद?”
रा नो : “तुम्हा रे घों सले में जो छेद है, हम उसे ठी क कर सकते हैं। बदले में हमें थो ड़ा सा मा न दे देना ।”
(कौ आ मा न जा ता है। रा नो और गुड़ि या उसका घों सला ठी क करती हैं। बदले में उन्हें रूई और धा गे मि ल जा ते हैं।)
गुड़ि या : (खुश हो कर) “मां , अब हमा रे पा स थो ड़ा सा मा न हो गया है। चलो , आगे चलते है तब
रा नो और गुड़ि या अपने घों सले में लौ ट आते हैं। ठंडी हवा एं तेज़ हो जा ती हैं। रा त में अचा नक घों सले के पा स एक बड़ा बा ज
मंडरा ने लगता है।)
गुड़ि या : (डरते हुए) “मां , वो देखो ! वो बा ज हमा रे घों सले के पा स आ रहा है। क्या वो हमें नुकसा न पहुंचा एगा ?”
रा नो : (गंभी र हो कर) “शां त रहो बेटा । बा ज से नि पटना आसा न नहीं है। हमें चुप रहकर उसे डरा ना हो गा ।”
(रा नो कुछ सूखे पत्ते उठा कर बा ज की ओर फेंकती है। बा ज चौं ककर वहां से उड़ जा ता है।)
गुड़ि या : (हैरा न हो कर) “मां , तुमने उसे भगा दि या ! लेकि न वो वा पस आ सकता है।”
रा नो : “हां , लेकि न जब तक हम तैया र रहेंगे, हम उससे बच सकते हैं। चलो , अब सो ने की को शि श करो ।”
(अगले दि न रा नो और गुड़ि या मफलर बना ने की को शि श करती हैं। लेकि न धा गे और सा मा न कम पड़ जा ते हैं।)
गुड़ि या : “मां , ये मफलर तो बहुत छो टा बन रहा है। क्या अब हमें और सा मा न ढूंढना पड़ेगा ?”
रा नो : “हां बेटा । हमें और मेहनत करनी हो गी । लेकि न पहले चलो , जंगल के दूसरी ओर चलते हैं। वहां शा यद कुछ और मि ल जा ए।”
(वे जंगल के दूसरे हि स्से में जा ती हैं। रा स्ते में उन्हें एक गि लहरी मि लती है, जो घा यल है।)
गुड़ि या : “मां , ये गि लहरी कि तनी परेशा न लग रही है। इसे क्या हुआ?”
रा नो : “शा यद ये ठंड से ठि ठुर गई है। हमें इसे मदद करनी चा हि ए।”
गि लहरी : (कमजो र आवा ज में) “मुझे ठंड लग रही है। क्या तुम मेरी मदद कर सकती हो ?”
रा नो : “बि ल्कुल! पहले चलो , तुम्हें गरम जगह पर ले चलते हैं।”
(वे गि लहरी को अपने घों सले में ले जा ती हैं। रा नो और गुड़ि या उसे गरम रहने में मदद करती हैं।)
गि लहरी : “तुमने मेरी मदद की । अब मैं तुम्हा री मदद करूंगी । मेरे पा स जंगल में कुछ धा गे और रूई का ढेर है। चलो , मैं तुम्हें वहां ले
चलती हूं।”
(रा स्ते में अचा नक बा ज फि र से उन पर हमला कर देता है।)
गुड़ि या : (चि ल्ला ते हुए) “मां , वो बा ज फि र आ गया ! हमें बचा ओ!”
रा नो : “शां त रहो , बेटा । गि लहरी , क्या तुम उस झा ड़ी में छुप सकती हो ?”
गि लहरी : “हां , मैं वहीं छुप जा ती हूं।”
(रा नो बा ज का ध्या न भटका ने के लि ए तेजी से उड़ती है। बा ज उसे पकड़ने की को शि श करता है, लेकि न वह फुर्ती से बच नि कलती
है। बा ज थककर उड़ जा ता है।)
गुड़ि या : (रो ते हुए) “मां , तुम ठी क हो ?”
रा नो : (थकी हुई) “हां , मैं ठी क हूं। चलो , अब जल्दी सा मा न इकट्ठा करते हैं और घर लौ टते हैं।”
(गि लहरी के बता ए स्था न से रा नो और गुड़ि या सा मा न ला ते हैं। वे घों सले को मजबूत करती हैं और मफलर पूरा बना ती हैं।)
गुड़ि या : (खुश हो कर) “मां , ये मफलर कि तना अच्छा लग रहा है! अब मुझे ठंड नहीं लगेगी ।”
रा नो : “हां बेटा , लेकि न या द रखना , ये सब मेहनत और दूसरों की मदद से हुआ है।”
(सर्दि यों की सबसे ठंडी रा त में उनका घों सला और मफलर दो नों उन्हें ठंड से बचा ते हैं। बा ज भी वा पस नहीं आता ।)
(रा नो और गुड़ि या अपनी बा तों में व्यस्त हैं। तभी पेड़ की शा खा ओं से एक का ला कौ आ उड़कर नी चे आता है। वह चुपके से घों सले
के पा स रखे हुए मफलर और रूई को उठा लेता है।)
गुड़ि या : (चि ल्ला ते हुए) “मां ! देखो ! वह कौ आ हमा रा मफलर चुरा रहा है!”
रा नो : (हड़बड़ा ते हुए) “नहीं ! वह क्या कर रहा है! हमा रा सा रा मेहनत चुरा कर ले जा रहा है!”
(कौ आ मफलर और रूई लेकर तेज़ी से उड़ जा ता है। रा नो और गुड़ि या दौ ड़कर कौ आ के पी छे जा ती हैं, लेकि न वह जल्दी से पेड़ों
में छि पकर उड़ जा ता है। रा नो और गुड़ि या थककर रुक जा ती हैं।)
गुड़ि या : (रुआंसी आवा ज में) “मां , हमा रा सा रा का म बेका र हो गया । अब हम क्या करेंगे?”
रा नो : (सा हस के सा थ) “बेटा , हमें हा र नहीं मा ननी चा हि ए। हम फि र से मेहनत करेंगे और यह मफलर वा पस ला एंगे। हमें अपनी
उम्मी द को जिं दा रखना हो गा ।”
(रा नो और गुड़ि या वा पस अपने घों सले की ओर लौ ट रही हैं। वे सो च रही हैं कि कैसे फि र से सा मा न इकट्ठा करें। तभी अचा नक
जंगल में कुछ शि का री कुत्ते आ जा ते हैं।)
गुड़ि या : (डरी हुई) “मां , ये कुत्ते हमा रे पा स आ रहे हैं! क्या करें?”
रा नो : (चिं ति त हो ते हुए) “सि र्फ़ भा गो ! जल्दी से पेड़ की छां व में छुप जा ओ!”
(रा नो और गुड़ि या तेजी से पेड़ की ओर दौ ड़ती हैं। कुत्ते उन्हें पी छा करते हैं, लेकि न रा नो और गुड़ि या कि सी तरह पेड़ के तने में छुप
जा ती हैं। कुत्ते कुछ देर तक वहां घुमते हैं, फि र थककर वा पस चले जा ते हैं।)
गुड़ि या : (घबरा ई हुई) “मां , ये क्या हुआ! हमें कि तना डर लग रहा था ।”
रा नो : (सां त्वना देती हुई) “बि लकुल, बेटा । लेकि न तुमने बहुत अच्छा कि या । हमें अब भी अपना रा स्ता ढूंढना है।”
(कुछ दि न बा द, रा नो और गुड़ि या जंगल में फि र से सा मा न इकट्ठा कर रही हैं। वे धी रे-धी रे मफलर बना ने की तैया री कर रही हैं।
अचा नक, एक बड़ा जंगली बा ज आकर उनके पा स मंडरा ने लगता है।)
गुड़ि या : (घबरा कर) “मां , वो देखो ! बा ज आ रहा है! हमें क्या करना चा हि ए?”
रा नो : (शां त हो कर) “पक्षि यों से डरने की बा त नहीं है। तुम ऊंचे उड़ जा ओ, मैं उसे भटका ऊंगी ।”
(रा नो बा ज की ओर उड़ जा ती है और उसकी ध्या न भटका ने की को शि श करती है। बा ज उसे पकड़ने के लि ए पी छे आता है,
लेकि न रा नो बहुत फुर्ती से उसे चकमा देती है। बा ज थो ड़ी देर बा द थककर वा पस उड़ जा ता है।)
गुड़ि या : (खुश हो कर) “मां , तुम बहुत तेज़ हो ! उसने हमें छो ड़ दि या !”
रा नो : (स्मा इली के सा थ) “हां , बेटा । हमें हमेशा शां त रहकर सो चने की ज़रूरत हो ती है। जब तक हम डरते नहीं , को ई भी हमें नहीं
हरा सकता ।”
अगले दि न रा नो चि ड़ि या सो चती है कि कौ आ को सबक सि खा ना हो गा ।।
वो सभी जा नवर और पक्षी अब मि लकर कौ आ को सि खा ने की यो जना बना ते हैं। यह सि र्फ एक सि खा ने का मौ का नहीं है, बल्कि
यह उसे एक बड़ा सबक देने का समय है, ता कि वह समझ सके कि मेहनत और ईमा नदा री से ही सच्ची सफलता मि लती है। रा नो
चि ड़ि या , गुड़ि या , गि लहरी , हा थी , खरगो श और लो मड़ी एक जगह इकट्ठा हो ते हैं, और सब मि लकर कौ आ के पा स जा ते हैं।)
रा नो : (गंभी र आवा ज में) “कौ आ, तुमने हमा री मेहनत चुरा ई, और अब हमें तुम्हें एक सबक सि खा ना हो गा । यह वक्त है कि तुम
समझो कि चो री करने से कि सी का भला नहीं हो ता । जो ची ज़ हम मेहनत से कमा ते हैं, वही हमें सच्ची खुशी देती है।”
गुड़ि या : (उत्सा ही हो कर) “तुमने हमा री मेहनत चुरा ई, लेकि न अब हम सब मि लकर तुम्हें दि खा एंगे कि मेहनत का फल क्या हो ता
है। अब हम तुम्हें यह सि खा एंगे कि अगर हम सब एक सा थ का म करें, तो हम कि सी भी समस्या को सुलझा सकते हैं।”
गि लहरी : (सख्त आवा ज में) “तुमने गलत कि या , कौ आ। अब तुम सबक सि खने के का बि ल हो । हम सब मि लकर तुम्हें दि खा एंगे
कि हम बि ना चुरा ए भी अपना का म कर सकते हैं और एक-दूसरे की मदद कर सकते हैं।”
हा थी : (समी प आते हुए) “कौ आ, हमने अब तक अपनी मेहनत से अपना का म कि या है। अब तुम भी समझो , मेहनत से बहुत कुछ
हा सि ल हो ता है। यह जो हम कर रहे हैं, वह तुम्हें सि खा एगा कि बि ना चो री के भी सुखी और संतुष्ट हुआ जा सकता है।”
लो मड़ी : (हि म्मत बढ़ा ते हुए) “तुम्हें यह समझना हो गा , कौ आ, कि जो दूसरों की ची ज़ों को चुरा ता है, वह कभी खुश नहीं रह
सकता । तुम्हें सच्ची खुशी तब मि लेगी , जब तुम अपनी मेहनत से कुछ सा का र करो गे।”
रा नो : (आगे बढ़ते हुए) “अब हम तुम्हें यह सबक देने के लि ए तैया र हैं, लेकि न यह तभी संभव है जब तुम अपनी गलति यों को
स्वी का र करो गे और हमें दि खा ओ कि तुमने कुछ सी खा है।”
कौ आ चुपचा प सुन रहा है और धी रे-धी रे अपनी गलती को महसूस करता है। उसकी आँखों में पछता वा दि खता है। उसने महसूस
कि या कि उसने जो कि या वह गलत था । वह अब खुद को सुधा रने के लि ए तैया र है।
कौ आ: (नम्रता से) “तुम सभी सही कह रहे हो । मैंने गलत कि या और मुझे यह समझने में वक्त लगा । मैं तुमसे वा दा करता हूं कि
अब मैं मेहनत करूंगा और दूसरों की मदद करूंगा । मेरी तरफ से जो भी नुकसा न हुआ है, उसे मैं सुधा रने की पूरी को शि श
करूंगा ।”
गुड़ि या : (खुश हो कर) “हम खुश हैं कि तुम समझ गए। अब हम सब मि लकर का म करेंगे, और तुम भी हमा रे सा थ आकर अपनी
मेहनत से दि खा सकते हो कि कुछ भी असंभव नहीं है।
अब सभी जा नवर और पक्षी मि लकर एक सा थ का म करने लगते हैं। गि लहरी रूई ला ती है, हा थी पेड़ से फल ला ता है, खरगो श
घा स इकट्ठा करता है और लो मड़ी उसे व्यवस्थि त करती है। कौ आ भी अपनी मेहनत से सबकी मदद करने लगता है। वह अब
चुपचा प बि ना कि सी चो री के का म करता है।
कौ आ: (चमकते हुए) “मैंने महसूस कि या कि मेहनत से जो कुछ भी मि लता है, वह बहुत की मती हो ता है। अब मैं सच्ची खुशी
महसूस कर रहा हूं।”
रा नो : (संतुष्ट हो कर) “हमने तुम्हें एक सबक दि या , लेकि न सबसे ज़रूरी यह है कि तुम अब इसे अपनी जिं दगी में अपना ओ।
मेहनत, ईमा नदा री , और दूसरों की मदद से ही सच्ची सफलता मि लती है।”
गुड़ि या : मुस्करा ते हुए हां , और अब हम सभी एक-दूसरे की मदद से और भी मजबूत हो गए हैं। हमें अब डर नहीं लगता , क्यों कि
हम सब मि लकर कि सी भी मुश्कि ल का सा मना कर सकते हैं।”
कौ आ ने अपनी गलती मा नी और अब वह सचमुच बदल चुका था । सब मि लकर अपना का म करते हैं और सबका का म आसा न
हो जा ता है। जंगल में अब एक नई शुरुआत हो ती है, जहाँ सभी जा नवर एक-दूसरे की मदद से खुश रहते हैं।
यह कहा नी हमें यह सि खा ती है कि गलति याँ करना इंसा न की स्वभा वि क बा त है, लेकि न उन्हें स्वी का र करना और सुधा रने की
को शि श करना सबसे महत्वपूर्ण हो ता है। एकजुट हो कर, मेहनत से और एक-दूसरे की मदद